सरकारी नौकरी करने वालों के लिए एक अहम खबर सामने आई है। केंद्र सरकार ने Pension Rules Change के तहत पेंशन से जुड़ी बड़ी शर्त जोड़ दी है। अब अगर कोई कर्मचारी किसी सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (PSU) से बर्खास्त या हटा दिया जाता है।
तो उसे सेवानिवृत्ति यानी रिटायरमेंट के फायदे नहीं मिलेंगे। यह नया नियम हाल ही में 22 मई 2025 को अधिसूचित किया गया है। यह बदलाव केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम 2021 में संशोधन के जरिए लागू किया गया है।
इसका मतलब यह है कि अब नौकरी के दौरान की गई गलतियों का असर रिटायरमेंट पर भी पड़ेगा। सरकार का यह फैसला पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया एक सख्त लेकिन जरूरी कदम माना जा रहा है। आइए इस नियम के बारे में विस्तार से जानते है।
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नई अधिसूचना में शामिल मुख्य बदलाव | Pension Rules Change
केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) संशोधन नियम, 2025 में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। अब अगर कोई सरकारी कर्मचारी सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (PSU) में कार्यरत है और उसे अनुशासनहीनता या किसी गंभीर गलती की वजह से हटाया या बर्खास्त किया जाता है।
तो उसे सेवा अवधि चाहे जितनी भी हो रिटायरमेंट के समय पेंशन या अन्य लाभ नहीं मिलेंगे। यह नियम स्पष्ट करता है कि अब केवल सेवा की अवधि नहीं बल्कि आचरण भी पेंशन के लिए अहम होगा।
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मंत्रालय करेगा फैसले की पुनः जांच
अगर किसी कर्मचारी को सेवा से हटाया या बर्खास्त किया जाता है तो उसका मामला सीधे संबंधित प्रशासनिक मंत्रालय के पास जाएगा। मंत्रालय इस फैसले की गहराई से समीक्षा करेगा। जांच में यह देखा जाएगा कि बर्खास्तगी का कारण कितना उचित था
और क्या वाकई में सेवानिवृत्ति लाभों को रोका जाना चाहिए। यानी अंतिम निर्णय मंत्रालय की सिफारिश और जांच पर आधारित होगा। यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि फैसला न केवल नियमों के तहत हो बल्कि निष्पक्ष और न्यायसंगत भी हो।
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ये नियम किन कर्मचारियों पर नहीं होंगे लागू?
यह नया संशोधित नियम सभी सरकारी कर्मचारियों पर लागू नहीं होता। खासतौर पर रेलवे में कार्यरत कर्मचारी, आकस्मिक या दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी, साथ ही IAS, IPS और IFoS जैसे अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारी इससे बाहर रखे गए हैं।
इसके अलावा यह नियम (Pension Rules Change) केवल उन्हीं कर्मचारियों पर लागू होगा जिन्हें केंद्र सरकार के अधीन नियमित सेवा में 31 दिसंबर 2003 या उससे पहले नियुक्त किया गया था।
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पहले के नियम क्या थे?
पहले के नियम अनुसार अगर किसी कर्मचारी को सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम से हटाया या बर्खास्त भी किया जाता था तब भी उसे पेंशन, ग्रेच्युटी जैसे रिटायरमेंट फायदे मिल जाते थे। यानी सेवा समाप्त होने के बावजूद वित्तीय सुरक्षा बनी रहती थी।
लेकिन अब नया संशोधन इस छूट को खत्म करता है। अगर कर्मचारी अनुशासनहीनता के चलते बाहर होता है तो उसे पेंशन लाभ नहीं मिलेंगे। यह बदलाव पहले और अब की नीतियों के बीच एक बड़ा अंतर पैदा करता है।
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सरकारी कर्मचारियों की बढ़ेगी जिम्मेदारियां
पेंशन से जुड़े नियमों में किया गया ये बदलाव (Pension Rules Change) सरकारी कर्मचारियों की ज़िम्मेदारियों को पहले से कहीं ज़्यादा बढ़ा देगा। अब नौकरी के दौरान सिर्फ कामकाज ही नहीं, बल्कि आचरण और व्यवहार भी उतना ही अहम हो गया है। कोई भी अनुशासनहीनता या गंभीर गलती रिटायरमेंट के फायदे छीन सकती है।
यानी अब पेंशन और ग्रेच्युटी जैसे लाभ सिर्फ सेवा की अवधि पर नहीं बल्कि उस सेवा के दौरान निभाई गई ज़िम्मेदारी और ईमानदारी पर भी निर्भर होंगे। यह संशोधन कर्मचारियों में अनुशासन की भावना को मज़बूत करेगा।
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