Fixed VS Floating Interest Rate : फिक्स्ड या फ्लोटिंग, किस ब्याज दर पर होम लोन लेना अच्छा होता है, जाने फायदे और नुकसान

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हर इंसान का सपना होता है अपना खुद का एक प्यारा सा घर हो। इस सपने को हकीकत में बदलने के लिए होम लोन बड़ी मदद करता है। लेकिन जब आप होम लोन लेने बैंक या किसी वित्तीय संस्था के पास जाते हैं। तो आपके सामने एक अहम फैसला होता है Fixed VS Floating Interest Rate में से किसी एक को चुनना।

ये फैसला आसान नहीं होता क्योंकि दोनों के अपने फायदे और नुकसान होते हैं। फिक्स्ड रेट में ब्याज दर तय रहती है। जबकि फ्लोटिंग रेट समय के साथ घट-बढ़ सकती है। ऐसे में कौन-सा ऑप्शन आपके लिए बेहतर रहेगा।

इसका निर्णय लेने से पहले इन दोनों की खासियतों को समझना बेहद जरूरी है। इस लेख में हम आपको सरल और विस्तार के साथ बताएंगे कि फिक्स्ड और फ्लोटिंग ब्याज दरों में क्या अंतर है और कौन-सा विकल्प (Fixed vs Floating Rate) आपके होम लोन के लिए बेहतर साबित हो सकता है।

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What Is Fixed Interest Rate

Fixed Interest Rate नाम से ही साफ हो जाता है कि इस विकल्प में लोन की ब्याज दर (Rate Of Interest) पूरी अवधि तक एक जैसी बनी रहती है। यानी आप शुरुआत में जिस दर पर लोन लेते हैं वही रेट लोन खत्म होने तक लागू रहेगा। न तो आपकी EMI बदलेगी और न ही लोन अवधि या ब्याज की रकम में कोई उतार-चढ़ाव आएगा।

भले ही रिजर्व बैंक की पॉलिसी में बदलाव हो यानि रेपो रेट घटे या बढ़े या बैंक अपनी ब्याज दरें बदलें । आपका लोन उन सब से प्रभावित नहीं होगा।

उदाहरण के लिए मान लीजिए आपने 8.30% की दर से 30 साल के लिए होम लोन लिया है और आपकी EMI 23,000 रुपए तय हुई है। तो फिर अगले 30 सालों तक आपको हर महीने 22,000 रुपए ही चुकाना होगा। इसमें कोई बदलाव नहीं होगा। यही इस विकल्प की सबसे बड़ी खासियत है।

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फिक्स्ड ब्याज दर के फायदे

EMI में कोई बदलाव नहीं होता : जब आप फिक्स्ड रेट पर होम लोन लेते हैं तो EMI पूरे अवधि में एक जैसी बनी रहती है। इससे यह डर नहीं रहता कि भविष्य में आपकी किस्त अचानक बढ़ जाएगी।

आसान फाइनेंशियल प्लानिंग : हर महीने तय रकम की EMI होने से बजट बनाना काफी सहज हो जाता है। आपको पहले से पता होता है कि कितनी राशि हर महीने अलग रखनी है।

ब्याज दर बढ़े तो भी फर्क नहीं पड़ेगा : अगर मार्केट में इंटरेस्ट रेट ऊपर चला भी जाए तो उसका असर आपके लोन पर नहीं होगा। आपकी EMI और कुल ब्याज पहले से फिक्स होता है।

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फिक्स्ड ब्याज दर के नुकसान

प्रीपेमेंट की छूट नहीं मिलती : ज़्यादातर फिक्स्ड रेट होम लोन में लोन को जल्दी चुकाने या आंशिक भुगतान (Part-Payment) करने पर पाबंदी होती है। अगर ऐसा करना चाहें तो आपको अतिरिक्त चार्ज देना पड़ सकता है।

ब्याज दर घटे तो कोई फायदा नहीं : अगर भविष्य में बैंक की ब्याज दरें घटती हैं तो भी फिक्स्ड रेट लेने वाले उधारकर्ता को कोई लाभ नहीं मिलता। उन्हें वही पुरानी दर से EMI चुकानी होती है।

शुरुआत में ज्यादा ब्याज देना पड़ सकता है : अक्सर फिक्स्ड रेट लोन की शुरुआती ब्याज दर फ्लोटिंग रेट लोन की तुलना में थोड़ी ज्यादा हो सकती है। यानी शुरुआत में आपकी EMI अधिक हो सकती है जो कुछ लोगों के लिए महंगी साबित हो सकती है।

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फिक्स्ड रेट पर होम लोन लेना किसके लिए अच्छा होगा?

ऐसे लोग जो 5 से 10 साल की छोटी अवधि के लिए होम लोन लेना चाहते हैं उनके लिए फिक्स्ड रेट बेहतर विकल्प हो सकता है।

जिनको लगता है कि आने वाले समय में ब्याज दरों में इज़ाफा हो सकता है, वे फिक्स्ड रेट चुनकर खुद को उस असर से बचा सकते हैं।

अगर आप उन लोगों में हैं जो हर महीने एक तय EMI चुकाना चाहते हैं और बजट में किसी भी तरह का उतार-चढ़ाव पसंद नहीं करते, तो फिक्स्ड रेट आपके लिए एक सुरक्षित और स्थिर विकल्प है।

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What Is Floating Interest Rate

फ्लोटिंग रेट होम लोन में ब्याज दर स्थिर नहीं रहती है। यह समय-समय पर बाजार की स्थितियों के अनुसार बदलती रहती है। यह दर आमतौर पर बैंक के बेंचमार्क और RBI की मौद्रिक नीति से जुड़ी होती है।

RBI जैसे ही रेपो रेट में बदलाव करता है उसी के अनुसार आपकी ब्याज दर भी बढ़ती या घटती है। अगर रेपो रेट बढ़ती है तो बैंक भी लोन पर ब्याज दर बढ़ा देती है। जिससे आपकी EMI बढ़ जाती है। ऐसे में अगर आप EMI को स्थिर (पहले जैसा) रखना चाहते हैं तो बैंक लोन की अवधि बढ़ा देता है।

वहीं रेपो रेट कम होती है तो बैंक भी ब्याज दर घटा देता है। इससे आपकी EMI कम हो सकती है या लोन जल्दी खत्म हो सकता है। यह विकल्प उन लोगों के लिए फायदेमंद होता है जो ब्याज दरों में गिरावट की उम्मीद रखते हैं और जोखिम लेने को तैयार रहते हैं।

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फ्लोटिंग ब्याज दर के फायदे

ब्याज दर में गिरावट का सीधा फायदा : अगर बैंक में ब्याज दरें घटती हैं तो आपकी EMI कम हो सकती है या आप जल्दी लोन चुकता कर सकते हैं। यह आपके बजट पर सकारात्मक असर डालता है।

प्रीपेमेंट पर छूट : फ्लोटिंग रेट लोन की खास बात यह है कि ज़्यादातर मामलों में आप बिना किसी अतिरिक्त चार्ज के प्रीपेमेंट या पार्ट-पेमेंट कर सकते हैं। इससे ब्याज की कुल राशि घट जाती है।

बेहतर ऑफर पर लोन ट्रांसफर का विकल्प : अगर किसी दूसरे बैंक में कम ब्याज दर मिल रही है तो आप अपने होम लोन को आसानी से वहां ट्रांसफर कर सकते हैं और कम EMI का लाभ उठा सकते हैं।

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फ्लोटिंग ब्याज दर के नुकसान

अगर ब्याज दरों में इज़ाफा होता है तो उधारकर्ता को या तो ज्यादा EMI चुकानी पड़ सकती है या फिर लोन की अवधि बढ़ सकती है। दोनों ही स्थितियां जेब पर असर डाल सकती हैं।

क्योंकि फ्लोटिंग रेट लोन में EMI स्थिर नहीं रहती है ऐसे में हर महीने के खर्चों का बजट तय करना थोड़ा चुनौतीपूर्ण हो सकता है। अचानक बढ़ी EMI कई बार बजट प्लानिंग बिगाड़ सकती है।

फ्लोटिंग ब्याज दर पर होम लोन लेना किसके लिए अच्छा होगा?

जो लोग 10 साल या उससे ज्यादा की लंबी अवधि के लिए होम लोन लेने की योजना बना रहे हैं उनके लिए फ्लोटिंग रेट एक बेहतर विकल्प हो सकता है क्योंकि समय के साथ ब्याज दरों में बदलाव का असर ज्यादा स्पष्ट होता है।

अगर आपको लगता है कि आने वाले समय में ब्याज दरें नीचे जा सकती हैं तो फ्लोटिंग रेट चुनना फायदे का सौदा हो सकता है। इससे आपकी EMI में भी राहत मिल सकती है।

ऐसे उधारकर्ता जो लोन को समय से पहले चुकाने की योजना रखते हैं या बेहतर ब्याज दर मिलने पर किसी दूसरे बैंक में लोन ट्रांसफर करना चाहते हैं उनके लिए फ्लोटिंग रेट लोन अधिक लचीलापन प्रदान करता है।

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Fixed Vs Floating Interest Rate Which Is Better

अगर आप एक तय बजट के साथ होम लोन लेना चाहते हैं और आपको लगता है कि आने वाले समय में ब्याज दरें बढ़ सकती हैं साथ ही आपकी कोई प्रीपेमेंट या लोन ट्रांसफर की योजना भी नहीं है तो फिक्स्ड रेट होम लोन आपके लिए बेहतर विकल्प हो सकता है। इससे EMI हमेशा एक समान रहेगी और आप बिना किसी अनिश्चितता के अपनी योजना पर टिके रह सकते हैं।

वहीं अगर आप लंबी अवधि के लिए लोन ले रहे हैं और ब्याज दरों में गिरावट की उम्मीद कर रहे हैं तो फ्लोटिंग रेट लोन आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। इसमें आपको प्रीपेमेंट, पार्ट-पेमेंट और बैलेंस ट्रांसफर जैसी सुविधाएं भी अधिक मिलती हैं।

Fixed vs Floating Interest Rate दोनों विकल्पों के अपने फायदे और कमियां हैं। इसलिए कोई भी निर्णय लेने से पहले अपनी कमाई, खर्च, भविष्य की योजनाएं और ब्याज दरों का संभावित रुझान ज़रूर समझें। समझदारी से लिया गया फैसला लंबे समय तक फायदेमंद साबित होता है।

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Difference Between Fixed And Floating Interest Rate

फिक्स्ड और फ्लोटिंग ब्याज दरों (Floating Vs Fixed Interest Rate) में क्या-क्या अंतर है आइए टेबल के माध्यम से समझते है।

PointFixed RateFloating Rate
ब्याज दर (Interest Rate)शुरू में तय होती है और पूरी लोन अवधि तक वही रहती है।यह बाजार और RBI की नीतियों के हिसाब से समय-समय पर बदलती रहती है।
EMIEMI हर महीने एक समान रहती है, जिससे बजट प्लानिंग आसान होती है।EMI कभी बढ़ सकती है, कभी घट सकती है – बजट में उतार-चढ़ाव संभव है।
जोखिम का स्तरजोखिम बहुत कम होता है क्योंकि दर फिक्स रहती है।दर में उतार-चढ़ाव के कारण थोड़ा जोखिम बना रहता है।
ब्याज दर बढ़ने का असरब्याज दर बढ़ने पर कोई असर नहीं पड़ता – EMI वही रहती है।ब्याज दर बढ़ने पर EMI या लोन अवधि बढ़ सकती है।
ब्याज दर घटने का फायदामार्केट में रेट कम होने पर भी फायदा नहीं मिलता।जैसे ही रेट घटती है, EMI में राहत मिलती है या लोन जल्दी खत्म हो सकता है।
प्रीपेमेंट सुविधाकुछ मामलों में प्रीपेमेंट पर चार्ज लग सकता है।ज़्यादातर केस में प्रीपेमेंट और पार्ट-पेमेंट की छूट होती है, बिना जुर्माने के।
शुरुआती ब्याज दरआमतौर पर फ्लोटिंग से थोड़ी ज़्यादा होती है।शुरुआत में कम ब्याज दर का फायदा मिल सकता है।
किसके लिए उपयुक्तजिनको EMI स्थिर चाहिए और जोखिम नहीं लेना चाहते।जो ब्याज घटने का फायदा लेना चाहते हैं और थोड़ी फ्लेक्सिबिलिटी पसंद करते हैं।

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Conclusion

Fixed VS Floating Interest Rate में से कौन-सा विकल्प बेहतर है यह पूरी तरह आपकी ज़रूरतों और आर्थिक स्थिति पर निर्भर करता है। अगर आप EMI में स्थिरता चाहते हैं और जोखिम से बचना चाहते हैं तो फिक्स्ड रेट सही रहेगा। लेकिन अगर आप थोड़ा रिस्क ले सकते हैं।

और ब्याज दर घटने का लाभ उठाना चाहते हैं तो फ्लोटिंग रेट बेहतर साबित हो सकता है। दोनों के अपने फायदे और नुकसान हैं। इसलिए सोच-समझकर फैसला लें। एक सही चुनाव आपको लंबे समय तक वित्तीय संतुलन बनाए रखने में मदद करेगा।

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