लोन लेने के बाद मौत हो जाए तो बैंक किससे वसूलता है बकाया राशि Personal Loan Rules

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Personal Loan Rules : आजकल की बढ़ती महंगाई में आम आदमी को अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए लोन लेने की जरूरत पड़ ही जाती है फिर चाहे घर बनवाना हो, कार खरीदना हो या अचानक कोई मेडिकल इमरजेंसी आ गई हो। ऐसे में लोग अक्सर बैंकों या एनबीएफसी (NBFC) से लोन लेने का विकल्प चुनते हैं।

जब कोई व्यक्ति लोन के लिए अप्लाई करता है तो बैंक सबसे पहले उसके फाइनेंशियल बैकग्राउंड को अच्छे से परखता है कि वो व्यक्ति भविष्य में लोन की EMI समय पर चुका पाएगा या नहीं। साथ ही जरूरी दस्तावेजों की जांच भी की जाती है।

अगर सब कुछ सही हो तो लोन अमाउंट उसके बैंक अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया जाता है। हर लोन के साथ ब्याज भी जुड़ा होता है जिसे तय समय तक EMI के रूप में चुकाना होता है। लेकिन सोचिए, अगर किसी वजह से लोन लेने वाले व्यक्ति की बीच में ही मौत हो जाए तो फिर बैंक क्या करता है?

क्या ये कर्ज उसके परिवार को चुकाना पड़ता है? बैंक किससे वसूली करता है अपना पैसा? आज के इस आर्टिकल में हम इसी अहम सवाल के बारे में पूरी जानकारी बताने वाले है। तो आप आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें।

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2 तरह के लोन देता है बैंक

इस विषय को समझने से पहले एक जरूरी बात जान लीजिए क्योंकि बैंक अपना पैसा कैसे वसूलेगा यह लोन के प्रकार पर भी निर्भर करता है। बैंक दो प्रकार के लोन ऑफर करता है।

  1. सिक्योर्ड लोन
  2. अनसिक्योर्ड लोन

1. सिक्योर्ड लोन

जब लोन लेने वाले व्यक्ति को लोन लेते समय अपनी कोई ना कोई चीज गिरवी रखनी पड़ती है तो वह सिक्योर्ड लोन कहलाता है। इसके अंतर्गत शामिल है कार लोन, होम लोन, गोल्ड लोन या फिर बिजनेस लोन। इन लोन में बैंक के पास एक तरह की सुरक्षा होती है कि अगर उधार लेने वाला व्यक्ति लोन नहीं चुका पाया तो बैंक उस संपत्ति को बेचकर अपना पैसा वसूल कर सकता है।

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2. अनसिक्योर्ड लोन

जब आपको लोन लेने के लिए किसी चीज को गिरवी रखने की जरूरत नहीं होती है तो वह अनसिक्योर्ड लोन के अंतर्गत आता है। जैसे – पर्सनल लोन, क्रेडिट कार्ड लोन और एजुकेशन लोन। इन लोन में जोखिम थोड़ा ज्यादा होता है क्योंकि बैंक के पास कोई सुरक्षा नहीं होती है। इसलिए अनसिक्योर्ड लोन की ब्याज दर भी अक्सर सिक्योर्ड लोन से ज्यादा रहती है। बैंक ऐसे लोन देते समय आपकी इनकम, सिबिल स्कोर और रीपेमेंट कैपेसिटी को गहराई से परखता है।

विभिन्न तरह के लोन पर बैंक कैसे वसूलता है बकाया राशि

Home Loan

होम लोन एक ऐसा लोन होता है जिसमें बैंक आपको बड़ी रकम देता है लेकिन बदले में आपके घर या जमीन को गिरवी रखता है। इसे सिक्योर्ड लोन कहा जाता है क्योंकि इसमें बैंक के पास पहले से एक सुरक्षा होती है। अब अगर लोन लेने वाले की अचानक मौत हो जाती है

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और लोन EMI अभी बाकी है तो बैंक सबसे पहले लोन के को-अप्लिकेंट यानी सह-आवेदक से संपर्क करता है। उसे बकाया रकम चुकाने के लिए कहा जाता है। अगर कोई सह-आवेदक नहीं होता है तो अगला कदम होता है

गारंटर या फिर उस व्यक्ति के कानूनी वारिस (Legal Heir) से संपर्क करना। बैंक उनसे रिकवरी की प्रक्रिया शुरू कर देता है। लेकिन अगर उस लोन के साथ इंश्योरेंस भी लिया गया है तो मामला थोड़ा आसान हो जाता है। बैंक सीधे बीमा कंपनी को लोन का भुगतान करने को कहता है।

अब सोचिए, अगर ये सारे विकल्प फेल हो जाएं – ना कोई सह-आवेदक हो, ना गारंटर और ना ही इंश्योरेंस। तो ऐसे में बैंक के पास एक ही रास्ता बचता है। वो उस प्रॉपर्टी की नीलामी करता है और उसे बेचकर अपना पैसा निकाल लेता है।

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Car Loan

अगर कार लोन चल रहा हो और उस बीच उधार लेने वाले की मृत्यु हो जाए तो बैंक सबसे पहले उसके परिवार से संपर्क करता है। खासतौर पर कानूनी उत्तराधिकारी से यह पूछा जाता है कि क्या वो बकाया लोन चुकाने के लिए तैयार हैं या नहीं। बैंक कोशिश करता है कि बात आपसी सहमति से सुलझ जाए और भुगतान हो जाए।

लेकिन अगर उत्तराधिकारी लोन चुकाने से साफ इनकार कर दे तो बैंक के पास एक मजबूत विकल्प होता है गाड़ी को जब्त करना। चूंकि कार लोन एक सिक्योर्ड लोन होता है और गाड़ी खुद इसमें गिरवी होती है इसलिए बैंक उसे वापस लेने का अधिकार रखता है।

इसके बाद बैंक उस गाड़ी को नीलामी के ज़रिए बेच सकता है ताकि जो भी बकाया लोन बचा है उसकी भरपाई हो सके। अगर नीलामी से मिलने वाली रकम लोन से कम होती है तो बैंक उस घाटे को कवर करने के लिए आगे और कदम उठा सकता है।

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Personal Loan Rules And Credit Card Loan

अनसिक्योर्ड लोन, जैसे पर्सनल लोन या क्रेडिट कार्ड लोन उन लोन में आते हैं जिनमें कोई संपत्ति गिरवी नहीं रखी जाती है। अब अगर लोन लेने वाले की मृत्यु लोन अवधि के दौरान हो जाए तो बैंक के पास रिकवरी के ज्यादा विकल्प नहीं होते।

इस तरह के मामलों में बैंक उधारकर्ता के परिवार या कानूनी उत्तराधिकारी पर सीधा दबाव नहीं डाल सकता है। क्योंकि उन्होंने लोन के लिए कोई कानूनी जिम्मेदारी नहीं ली होती है। हालांकि अगर लोन किसी सह-उधारकर्ता के साथ लिया गया था तो मामला थोड़ा अलग हो जाता है।

बैंक उस व्यक्ति से बकाया राशि की वसूली के लिए कार्रवाई कर सकता है। लेकिन अगर सह-उधारकर्ता भी नहीं है और लोन को वसूलने का कोई रास्ता नहीं बचता। तो बैंक अंत में उस लोन को NPA (Non-Performing Asset) यानी गैर-निष्पादित परिसंपत्ति घोषित कर देता है। इसका मतलब है कि बैंक को उस रकम की वसूली से हाथ धोना पड़ सकता है।

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लोन इंश्योरेंस बचा सकता है इन परेशानियों से

आजकल बहुत-से बैंक लोन के साथ-साथ लोन इंश्योरेंस भी ऑफर करते हैं जो आपके और आपके परिवार दोनों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। इस तरह के इंश्योरेंस का सबसे बड़ा फायदा यह है कि अगर दुर्भाग्यवश लोन लेने वाले की मृत्यु हो जाए।

तो बाकी की लोन राशि बीमा कंपनी द्वारा सीधे बैंक को अदा कर दी जाती है। नतीजा – परिवार पर किसी तरह का आर्थिक बोझ नहीं आता और बैंक खाते का पैसा भी सुरक्षित रहता है। अगर आप पहले से कोई लोन चुका रहे हैं या भविष्य में लोन लेने की सोच रहे हैं।

तो ये जरूर चेक करें कि उसमें लोन इंश्योरेंस शामिल है या नहीं। यह एक समझदारी भरा कदम होता है जो आपकी फाइनेंशियल प्लानिंग को और मजबूत बनाता है। थोड़ी सी सतर्कता आगे चलकर आपके परिवार को बड़ी परेशानी से बचा सकती है।

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Conclusion

लोन लेना आज के समय में आम बात है। लेकिन इसे लेने से पहले इससे जुड़ी जिम्मेदारियों को समझना बहुत जरूरी है। हर लोन के अपने अलग नियम, शर्तें और प्रोसेस होते हैं। इसलिए किसी भी लोन के लिए आवेदन करने से पहले यह जरूर जान लें कि उसके साथ क्या-क्या नियम लागू होते हैं।

खासकर लोन इंश्योरेंस जैसी चीजों को नजरअंदाज न करें। अगर कभी भविष्य में कोई अनहोनी हो जाए तो यही छोटी-छोटी सतर्कताएं आपके परिवार को बड़ी आर्थिक परेशानी से बचा सकती हैं। सही जानकारी और समझदारी के साथ लिया गया लोन बोझ नहीं बल्कि मददगार साबित होता है।

उम्मीद करता हूं इस आर्टिकल में आपको Personal Loan Rules के साथ साथ अनसिक्योर्ड लोन की भी जानकारी प्राप्त हो गई होगी। अगर यह जानकारी आपके लिए फायदेमंद रहा हो तो इसे शेयर भी जरूर कर दें। हम ऐसे ही महत्वपूर्ण जानकारी आपके लिए लाते रहेंगे। नई अपडेट पाने के लिए हमें सोशल मीडिया में फॉलो कर लीजिए।

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