Cheque Bounce New Rules : सावधान! चेक बाउंस पर अब लगेगा भारी जुर्माना और 2 साल तक जेल

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अगर आप लेनदेन के लिए चेक का इस्तेमाल करते हैं, तो Cheque Bounce New Rules आपके लिए जानना बेहद जरूरी है। अब चेक बाउंस होने पर सिर्फ जुर्माना ही नहीं, बल्कि जेल की सजा भी हो सकती है।

1 अप्रैल 2025 से लागू हुए इन नए नियमों का मकसद धोखाधड़ी को रोकना और भुगतान व्यवस्था को मजबूत करना है। अगर कोई जानबूझकर चेक बाउंस करता है तो उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। यह बदलाव वित्तीय अनुशासन को बढ़ावा देने के लिए लाया गया है। आइए Cheque Bounce Rules के बारे में विस्तार से जानते है।

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Cheque Bounce का क्या मतलब होता है?

Cheque Bounce Kya Hota Hai : जब कोई व्यक्ति बैंक को दिया चेक कैश कराने जाता है और खाते में पर्याप्त पैसे नहीं होते या किसी तकनीकी कारण से भुगतान नहीं हो पाता है। तो इसे ही चेक बाउंस कहा जाता है। यह केवल एक साधारण गलती नहीं मानी जाती है।

बल्कि कानूनी अपराध के अंतर्गत आता है। अक्सर ऐसा जानबूझकर भी किया जाता है जिससे दूसरे को नुकसान होता है। इसलिए चेक जारी करने से पहले यह सुनिश्चित करना जरूरी होता है कि खाते में पर्याप्त बैलेंस है या नहीं।

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Cheque Bounce New Rules

सरकार ने चेक बाउंस से जुड़ी समस्याओं को गंभीरता से लेते हुए नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 में बड़े बदलाव किए हैं जो 1 अप्रैल 2025 से लागू हो चुके हैं। इन बदलावों का मुख्य उद्देश्य धोखाधड़ी को रोकना, भुगतान प्रणाली को और पारदर्शी बनाना और शिकायतों का त्वरित निपटारा सुनिश्चित करना है।

अब अगर कोई जानबूझकर चेक बाउंस करता है तो उसे पहले से भी कड़ी सजा का सामना करना पड़ेगा। इसमें दोषी को दो साल तक की जेल और चेक की रकम के दोगुने तक जुर्माना लगाया जा सकता है। इसके साथ ही कोर्ट में चेक बाउंस मामलों की सुनवाई भी पहले से तेज होगी जिससे न्याय मिलने में देरी नहीं होगी।

शिकायत दर्ज कराने का समय भी 1 महीने से बढ़ाकर 3 महीने कर दिया गया है ताकि शिकायतकर्ता को अपनी बात रखने के लिए पर्याप्त समय मिल सके। मद्रास हाईकोर्ट ने इस प्रक्रिया को आसान और तेज बनाने के लिए निर्देश जारी किए हैं।

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चेक बाउंस की शिकायत ऑनलाइन की जा सकेगी

अब चेक बाउंस से जुड़ी शिकायतें दर्ज करना पहले से कहीं ज्यादा आसान हो गया है। सरकार ने डिजिटल सुविधा को बढ़ावा देते हुए ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने की व्यवस्था शुरू कर दी है अब डिजिटल सबूतों को भी कानूनी मान्यता दी गई है। इसके अलावा सभी बैंकों के लिए एकसमान प्रक्रिया लागू की गई है।

यानीकि चाहे मामला किसी भी बैंक का हो कार्रवाई का तरीका अब एक जैसा रहेगा। सबसे खास बात ये है कि अब Cheque Bounce Reason की जानकारी बैंक 24 घंटे के अंदर संबंधित व्यक्ति (चेक देने वाला और चेक प्राप्त करने वाला) को SMS और ईमेल के जरिए देगा। साथ ही चेक बाउंस होने का कारण भी स्पष्ट रूप से बताया जाएगा। जिससे पारदर्शिता बनी रहेगी।

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चेक बाउंस होने पर क्या करें?

अगर आपको प्राप्त चेक बाउंस हो गया है तो आपको घबराने की जरूरत नहीं है लेकिन कुछ जरूरी कदम तुरंत उठाने होंगे। सबसे पहले चेक बाउंस की वजह जानें- क्या खाते में पर्याप्त रकम नहीं थी या कोई तकनीकी गलती हुई? उसके बाद सामने वाले को एक लिखित नोटिस भेजें।

जिसमें भुगतान की मांग करें। यह नोटिस चेक बाउंस की तारीख से 30 दिनों के अंदर भेजना जरूरी है। अगर तय समय में भुगतान नहीं होता है तो आप उस व्यक्ति पर कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं। इसके लिए लेन-देन के सभी दस्तावेज संभालकर रखें। जो आपको कोर्ट में मदद करेगा।

हो सके तो मामले को अदालत के बाहर सुलझाने का प्रयास करें। अगर राशि बड़ी है तो आप वकीलों से कानूनी सलाह भी ले सकते है।

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चेक बाउंस होने से कैसे बचाएं?

  • अपने खाते में पर्याप्त बैलेंस रखा करें जिससे चेक बाउंस होने का टेंशन नहीं रहेगा।
  • चेक की अपेक्षा डिजिटल भुगतान सिस्टम अपनाए जैसे- Paytm, Phone Pay
  • अपना बैंक खाता स्टेटमेंट समय-समय पर चेक किया करे।
  • चेक भरने समय बेहतर क्वालिटी की स्याही और पेन का उपयोग करें।
  • चेक में भरे हुए जानकारी की दोबारा जांच करें।
  • चेक के कॉर्नर पर 2 लाइन जरूर खींचे जिससे चेक की राशि सीधे प्राप्तकर्ता के खाते में जाएगी।
  • जिसके नाम पर चेक बना रहे है उसका नाम और उस दिन का तारीख ध्यानपूर्वक भरें।
  • इस बात का ध्यान रखे कि चेक कटा-फटा या गंदा ना हो।
  • चेक का भुगतान होने में अगर थोड़ा ज्यादा समय लगने वाला हो तो इसकी जानकारी चेक प्राप्त करने वाले व्यक्ति को जरूर दें।

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Cheque Bounce होने पर मिलेगी कानूनी सजा | Cheque Bounce Punishment

नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 की धारा 138 के तहत अगर कोई चेक बाउंस होता है तो Cheque Bounce Case एक आपराधिक मामला बन जाता है। इस स्थिति में आरोपी को दो साल तक की जेल हो सकती है या फिर चेक की रकम के दोगुने तक का (Cheque Bounce Charges) जुर्माना देना पड़ सकता है।

या दोनों सजाएं एक साथ भी लग सकती हैं। इसके साथ ही कोर्ट फीस और वकीलों की कानूनी लागत का भार भी भुगतना पड़ सकता है। वहीं बैंक की ओर से 100 रुपए से 750 रुपए तक का पेनल्टी चार्ज भी लिया जा सकता है। चेक बाउंस होने पर आपका क्रेडिट स्कोर भी प्रभावित हो सकता है जिससे भविष्य में लोन मिलना मुश्किल हो सकता है।

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इस स्थिति में खाता हो सकता है फ्रिज

अगर किसी व्यक्ति का चेक लगातार तीन बार बाउंस होता है तो बैंक उस खाते पर सख्त कदम उठा सकता है। इस स्थिति में बैंक खाताधारक का खाता अस्थायी रूप से फ्रीज कर सकता है यानी खाते से लेन-देन कुछ समय के लिए रोका जा सकता है।

इस नियम का मकसद है पेमेंट सिस्टम में अनुशासन बनाए रखना और लापरवाह व्यवहार को हतोत्साहित करना। बार-बार चेक बाउंस होने से बैंकिंग व्यवस्था की विश्वसनीयता प्रभावित होती है इसलिए यह कदम बेहद जरूरी और सख्त माना गया है।

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Conclusion

नए नियमों के लागू होने के बाद अब चेक बाउंस सिर्फ एक मामूली गलती नहीं रह गई है बल्कि गंभीर कानूनी कार्रवाई का विषय बन गया है। Cheque Bounce New Rules के तहत अब धोखाधड़ी पर कड़ी सजा और जुर्माना दोनों तय किए गए हैं जिससे लेन-देन की प्रक्रिया और भी सुरक्षित और भरोसेमंद बन गई है।

अगर आप चेक का इस्तेमाल करते हैं तो सावधान हो जाइए। अब चेक के मामले में छोटी लापरवाही भी आप पर भारी पड़ सकती है। इसलिए चेक जारी करने से पहले खाते में पर्याप्त बैलेंस है या नहीं जरूर चेक कर लें।

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FAQ’s : Cheque Bounce New Rules 2025 से संबंधित सवाल

1. चेक बाउंस केस के लिए नोटिस पीरियड कितना होता है?

चेक बाउंस केस में नोटिस पीरियड 30 दिनों का होता है। अगर इस समय अवधि तक पेमेंट प्राप्त नहीं होता है। तो आप कानूनी मदद ले सकते है।

2. चेक बाउंस केस में समझौता कैसे किया जाता है?

चेक बाउंस केस में समझौता एक कानूनी और वैध प्रक्रिया होती है। जिसमें दोनों पक्ष कोर्ट के बाहर मामला को निपटा सकते है। फिर भले ही केस कोर्ट में कितना ही आगे बढ़ चुका हो इसमें किसी भी समय समझौता किया जा सकता है। समझौता में चेक प्राप्तकर्ता कोर्ट से केस वापस लेने के लिए सहमत हो सकता है। जिसके लिए आपको कुछ मुआवजा देना भी पड़ सकता है।

3. अधिकतम कितनी राशि का चेक होता है?

इसमें अधिकतम राशि की कोई लिमिट नहीं होती है। आप कितने भी राशि का चेक जारी कर सकते है बशर्ते उतनी राशि या ज्यादा आपके खाते में होनी ही चाहिए। अगर आप चेक से भुगतान करते हैं तो आप सिर्फ उतनी ही राशि का भुगतान कर सकते हैं।

जितनी आपके बैंक खाते में उपलब्ध है। हालांकि कुछ खास मामलों में बैंक अतिरिक्त नियम लागू कर सकते हैं। जैसे अगर चेक की रकम 50,000 रुपए या उससे ज्यादा है तो कई बैंकों में Positive Pay System (PPS) अनिवार्य होता है। इसका उद्देश्य लेनदेन को सुरक्षित बनाना और धोखाधड़ी से बचाव करना है।

4. क्या चेक बाउंस केस जमानती है?

नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 की धारा 138 के तहत चेक बाउंस एक जमानती अपराध माना जाता है। इसका मतलब है कि आरोपी को गिरफ्तारी के बाद जमानत मिल सकती है लेकिन इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता।

कोर्ट इस अपराध को गंभीर वित्तीय अनियमितता मानते हुए सख्त कार्यवाही अपनाता है। ऐसे मामलों में सजा के साथ-साथ मुआवज़े और जुर्माने का भी प्रावधान होता है जिससे पीड़ित पक्ष को न्याय मिल सके। यह कानून भुगतान व्यवस्था में पारदर्शिता और भरोसा बनाए रखने के लिए बनाया गया है।

5. चेक बाउंस मामले में कोर्ट फीस कितनी लगती है?

अगर चेक बाउंस होता है, तो उसके अमाउंट के आधार पर शुल्क देना पड़ता है। उदाहरण के तौर पर, 1 लाख रुपये तक के चेक पर लगभग 5,000 रुपये चार्ज लिया जाता है। यदि राशि 2 लाख रुपये हो तो ये शुल्क करीब 9,000 रुपये तक बढ़ सकता है। 1 लाख से ऊपर और 5 लाख तक की राशि पर 4% तक का शुल्क तय किया गया है। हालांकि अधिकतम शुल्क की सीमा 1.5 लाख रुपये निर्धारित है।

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