SC Decision On Property Registration : हाल ही में संपत्ति से जुड़े एक मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने घर खरीदने वालों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि केवल प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री होना यह साबित नहीं करता कि आप उसके असली मालिक हैं।
यह टिप्पणी महनूर फातिमा इमरान बनाम तेलंगाना राज्य केस में की गई है। जिसने सभी प्रॉपर्टी खरीदारों के लिए एक जरूरी संदेश दिया है। अगर आप भी किसी संपत्ति को सिर्फ रजिस्टर्ड सेल डीड के आधार पर खरीद चुके हैं या खरीदने जा रहे हैं तो अब आपको सतर्क हो जाना चाहिए।
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SC Decision on Property Registration यह साफ बताता है कि रजिस्ट्री सिर्फ एक प्रक्रिया है न कि पूर्ण स्वामित्व का प्रमाण। मालिकाना हक पाने के लिए म्युटेशन, कब्जा प्रमाण और टैक्स दस्तावेज जैसे अन्य रिकॉर्ड भी जरूरी होते हैं। संपत्ति खरीदने से पहले इन सभी पहलुओं की जांच ज़रूर करें।
रजिस्ट्री क्या होती है और इसका क्या महत्व है?
रजिस्ट्री यानी Sale Deed Registration वह प्रक्रिया होती है जिसके जरिए एक व्यक्ति दूसरी पार्टी को संपत्ति का विक्रय करता है। यह प्रक्रिया रजिस्ट्रार ऑफिस में पूरी होती है और यह संपत्ति खरीद की पहली कानूनी पुष्टि मानी जाती है। रजिस्ट्री केवल ट्रांजैक्शन का रिकॉर्ड है यह सिद्ध नहीं करती कि आप उस संपत्ति के “पूर्ण स्वामी” हैं।
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सिर्फ रजिस्ट्रेशन से क्यों नहीं बनते आप प्रॉपर्टी के मालिक?
तेलंगाना में जमीन विवाद से जुड़े एक मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने यह साफ कर दिया है कि प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री केवल एक ट्रांजैक्शन रिकॉर्ड होती है न कि मालिकाना हक का प्रमाण। अगर जिस व्यक्ति से आपने संपत्ति खरीदी है उसके पास ही वैध स्वामित्व नहीं था तो आपकी रजिस्ट्री के बावजूद आप कानूनी मालिक नहीं माने जाएंगे।
SC Decision on Property Registration में कोर्ट ने इसी बात पर ज़ोर दिया कि रजिस्ट्री से सिर्फ सौदे का पंजीकरण होता है स्वामित्व की पुष्टि नहीं। ऐसे में मालिकाना हक साबित करने के लिए अन्य ज़रूरी दस्तावेजों की जरूरत पड़ती है।
जैसे – सेल और टाइटल डीड, म्युटेशन सर्टिफिकेट, एन्कम्ब्रेंस सर्टिफिकेट, पजेशन लेटर, एलॉटमेंट लेटर और अगर विरासत से मिली संपत्ति हो तो सक्सेशन सर्टिफिकेट भी जरूरी होता है।
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प्रॉपर्टी का लीगल टाइटल कैसे करें सत्यापित?
रियल एस्टेट विशेषज्ञों की सलाह मानें तो कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले पूरी तरह से जांच-पड़ताल करना बेहद ज़रूरी है। इससे भविष्य में कानूनी पचड़ों और नुकसान से बचा जा सकता है।
1. कम से कम पिछले 30 वर्षों का टाइटल रिकॉर्ड जरूर चेक करें : इससे पता चलता है कि संपत्ति का स्वामित्व कानूनी रूप से किसके पास था और क्या उसमें कोई गड़बड़ी तो नहीं।
2. प्रॉपर्टी का म्युटेशन रिकॉर्ड जांचें : यह दिखाता है कि संपत्ति सरकारी रिकॉर्ड में किसके नाम दर्ज है और टैक्स आदि की जिम्मेदारी किसकी है।
3. देखें कि प्रॉपर्टी पर कोई बकाया टैक्स, लोन या मुकदमा तो नहीं है : बकाया या विवादित संपत्ति खरीदने से बचें वरना कानूनी झंझट में फंस सकते हैं।
4. संपत्ति पर किसी तीसरे पक्ष का दावा है या नहीं, इसे लेकर एक सार्वजनिक नोटिस जारी करें : यह एक एहतियात भरा कदम है जो आपको भविष्य की परेशानी से बचा सकता है।
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सुप्रीम कोर्ट का कड़ा फैसला | SC Decision on Property Registration
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में अपने एक फैसले में यह स्पष्ट किया है कि किसी संपत्ति का वैध टाइटल ही असली मालिकाना हक का आधार होता है न कि सिर्फ दस्तावेज़ों की औपचारिकता।
अगर किसी प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री ऐसे व्यक्ति के नाम पर है जो खुद उस जमीन का सही मालिक नहीं था तो रजिस्ट्रेशन होने के बावजूद खरीदार को कानूनी हक नहीं मिलेगा। SC Decision on Property Registration यही संकेत देता है कि सिर्फ रजिस्ट्री का होना काफी नहीं, उस पर आधारित टाइटल भी सही और वैध होना चाहिए।
ऐसी स्थिति में खरीदार को न सिर्फ प्रॉपर्टी छोड़नी पड़ सकती है बल्कि कोर्ट-कचहरी के चक्कर भी लगाने पड़ सकते हैं। इसलिए ज़रूरी है कि प्रॉपर्टी खरीदने से पहले उसके स्वामित्व से जुड़े सभी दस्तावेजों की सावधानीपूर्वक जांच की जाए।
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रजिस्ट्री और म्युटेशन में क्या अंतर है?
बिंदु | रजिस्ट्री | म्युटेशन |
क्या है? | बिक्री का रिकॉर्ड | रिकॉर्ड में नामांतरण |
कहां होता है? | रजिस्ट्रार ऑफिस | तहसील या नगर निगम |
कानूनी स्वामित्व? | आंशिक पुष्टि | पूर्ण स्वामित्व का आधार |
टैक्स भरने की भूमिका | नहीं | इसके बिना टैक्स नहीं भर सकते |
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घर या जमीन खरीदते समय किन बातों का रखें ध्यान?
- केवल रजिस्ट्री ना करें, म्युटेशन भी करवाएं।
- कब्जा प्रमाण पत्र लें और बिजली/पानी का नाम ट्रांसफर करवाएं।
- सभी दस्तावेजों को वकील से सत्यापित कराएं।
- अगर संभव हो तो भूमि रिकॉर्ड RTI के जरिए भी प्राप्त करें।
- रजिस्ट्री के बाद संपत्ति कर चुकाना शुरू करें।
Conclusion
SC Decision on Property Registration ने एक अहम सच्चाई उजागर की है। संपत्ति का मालिक बनने के लिए सिर्फ रजिस्ट्री करवा लेना ही काफी नहीं है। मालिकाना हक को कानूनी रूप से स्थापित करने के लिए आपको म्युटेशन, कब्जा प्रमाण और टैक्स रिकॉर्ड जैसे जरूरी दस्तावेज भी रखने होंगे।
यदि आप घर या जमीन खरीदने की योजना बना रहे हैं तो इस सुप्रीम कोर्ट के फैसले को जरूर समझें और अपने निवेश को सुरक्षित बनाएं। क्योंकि एक छोटी सी लापरवाही भविष्य में बड़ी परेशानी बन सकती है।
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FAQ’s : SC Decision on Property Registration
1. क्या केवल रजिस्ट्री से मैं प्रॉपर्टी का मालिक बन सकता हूँ?
नहीं, SC Decision on Property Registration के अनुसार केवल रजिस्ट्री पर्याप्त नहीं है।
2. म्युटेशन क्यों जरूरी है?
म्युटेशन से आपके नाम पर राजस्व रिकॉर्ड में बदलाव होता है, जिससे आप टैक्स भर सकते हैं और कानूनी स्वामी माने जाते हैं।
3. क्या बिना म्युटेशन के भी घर बेचा जा सकता है?
तकनीकी रूप से हाँ, लेकिन भविष्य में कानूनी अड़चनें आ सकती हैं।
4. रजिस्ट्री के बाद क्या करना जरूरी है?
म्युटेशन कराना, कब्जा लेना, और स्थानीय निकाय में नाम ट्रांसफर करवाना अनिवार्य है।