Fish Farming Business Plan : इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपके लिए बहुत ही फायदेमंद बिजनेस लेकर आए है। इस बिजनेस को शुरू करके कोई भी व्यक्ति हर महीने लाखो रुपए आसानी से कमा सकता है। जी हां हम बात कर रहे है मछली पालन के व्यापार की।
मछली की डिमांड मार्केट में हमेशा बनी रही है। आप छोटे या बड़े किसी भी स्तर पर इस बिजनेस को शुरू कर सकते है। बस इसके लिए आपको एक तालाब बनवाना होगा। उसके बाद इसमें अलग-अलग तरह की मछलियों को पालकर छप्पर फाड़ कमाई कर सकते है।
बहुत से किसान भी खेती करने के साथ साथ मछली पालन, मुर्गी पालन, बकरी पालन कर रहे है। मछली पालन का बिजनेस शुरू करने से पहले ट्रेनिंग जरूर लेना चाहिए ताकि इस बिजनेस में होने वाली हानि से बच सके। मछली पालन से जुड़ी पूरी जानकारी जानने के लिए इस आर्टिकल को पूरा अंत तक जरूर पढ़े।
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मछली पालन में कितना खर्चा आता है?
मछली पालन में कितना खर्चा आएगा ये इस बात पर निर्भर करेगा कि आप कौन से वैरायटी का मछली पालन कर रहे है और सरकार से आपको कितनी सब्सिडी मिल रही है। अलग अलग जगहों में मछली पालन का तरीका अलग होता है। मान लीजिए आपने 60×60 का तालाब खुदवाया है और उसमे ग्रास कार्प मछलियों का पालन कर रहे है तो शुरुआती समय में दाना, रख रखाव, मेंटेनेंस के लिए लगभग 1 से 1.5 लाख रुपए आपको खर्च करना होगा।
मछली पालन के लिए सरकार देती है सब्सिडी और लोन | Machli Palan Loan
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा तालाब निर्माण के लिए 40% से 60% तक की सब्सिडी और 7 लाख रुपए तक लोन दिया जाता है। कुछ पहाड़ी क्षेत्रों में सरकार तालाब निर्माण के लिए 80% तक की सब्सिडी भी प्रदान करती है। यदि आप भी मछली पालन के लिए सब्सिडी लेना चाहते है तो ऑफिशियल वेबसाइट pmmsy.dof.gov.in पर जाकर आवेदन कर सकते है।
मछली पालन में मुनाफा
मुनाफा की बात करें तो यदि आप 60×60 मीटर आकार के तालाब में 5 हजार मछलियों का पालन करते है और उनका दाना पानी, रख रखाव अच्छी तरह से करते है तो आपकी मछली 6-7 महीनो में ही 1 kg या इससे अधिक वजन की हो जायेगी। मान लेते है कि इस दौरान 400 मछलियां मर जाती है तो भी आपके पास 4600 मछलियां एक-एक किलोग्राम की है।
मार्केट में 1 kg मछली लगभग 150 रुपए तक बिक जाती है। तो आपको 150×4600 = 6,90,000 का मुनाफा होगा। ध्यान रखें मछलियों की जितनी ग्रोथ होगी वह उतने ही ज्यादा रेट में बिकेगा। यदि प्रॉफिट में से दाना पानी, रख रखाव का 1.5 लाख रुपए निकाल दे फिर भी आपको लगभग 5.5 लाख का प्रॉफिट 6 महीने में मिल जायेगा।
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मछली पालन कैसे शुरू करें | How To Start Fish Farming
मछली पालन के लिए सबसे आवश्यक होता है तालाब का निर्माण करवाना। इसके अलावा भी अन्य आवश्यकताएं होती है जैसे –
- तालाब का निर्माण
- मछली का बीज (जीरा)
- पानी
- पूंजी
- बाजार की सुविधा
- मछली पालन की संपूर्ण जानकारी
मछली पालन के तरीके
आप मछली पालन 2 तरीके से कर सकते है।
- तालाब में मछली पालन
- बायोफ्लॉक तकनीक द्वारा मछली पालन
तालाब में मछली पालन तो आप समझ ही रहे है। ये बायोफ्लोक तकनीक क्या है जानते है। बायोफ्लॉक तकनीक में मछलियों को सीमेंट के या फिर मजबूत प्लास्टिक के बने टैंक में रखा जाता है। साथ ही इसमें बायोफ्लॉक नामक बैक्टीरिया को छोड़ा जाता है।
ये बैक्टीरिया मछलियों से निकलने वाले मल को प्रोटीन में बदल देता है जिसे मछलियां खाकर काफी तेजी से ग्रो होती है। यही होता है बायोफ्लॉक तकनीक। इस तकनीक को सीखने के लिए Biofloc Fish Farming Training जरूर लें उसके बाद ही इस तकनीक का इस्तेमाल करके मछली पालन करें।
मछली पालन के लिए तालाब का निर्माण कैसा होना चाहिए
बहुत से लोगो का सवाल होता है कि मछली पालन के लिए तालाब किस जगह पर बनाना चाहिए। और उसकी लंबाई, चौड़ाई व गहराई कितनी रखनी चाहिए। अगर आपको नहीं पता है तो चलिए इन बातों को जान लेते है तालाब बनवाने के लिए हमें निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए।
- तालाब आपके घर के आस पास हो तो बहुत ही अच्छा रहेगा। जिससे आप उसकी देखरेख आसानी से कर सके।
- तालाब बनवाने के लिए पथरीली या उबड़-खाबड़ जमीन नही होनी चाहिए। तालाब बनवाने के लिए समतल जमीन को ही चुने। यदि जमीन ऊंचाई पर होगी तो तालाब में पानी जल्दी सूखने लगेगा। इसलिए तालाब बनवाने के लिए समतल जमीन को ही चुने।
- बहुत नीची जगह भी ना चुने। इससे बरसात के समय तालाब में पानी भर जाएगा। जिससे मछलियां तालाब से बाहर भी जा सकती है।
- तालाब खुली जगह में होना चाहिए। इसके आस पास या चारो तरफ कोई बड़ा पेड़ नही होना चाहिए। जिससे तालाब के तली तक धूप आसानी से जा सके।
- यदि तालाब के आस-पास पानी का साधन उपलब्ध है तो बहुत अच्छा है। जिससे आवश्यकता पड़ने पर तालाब में पानी भरा जा सके। यदि ऐसा नहीं है और तालाब पूरी तरह से वर्षा के जल पर निर्भर है। तो पानी के बहकर आने का क्षेत्रफल, तालाब के क्षेत्रफल का 10 गुना होना चाहिए।
- चिकनी मिट्टी वाले जमीन को तालाब के निर्माण के लिए अच्छा माना जाता है। तालाब बनवाते समय पानी के निकास (outlet) और प्रवेश मार्ग (inlet) की व्यवस्था का भी ध्यान रखना जरूरी होता है।
- कुल जमीन का 25 से 30 प्रतिशत भाग डैम बनाने में उपयोग हो जाता है। जैसे- माना की आप 0.5 एकड़ का तालाब बनवाना चाहते है तो इसके लिए आपके पास 0.75 एकड़ की जमीन होनी चाहिए।
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तालाब की लंबाई और चौड़ाई कितनी होनी चाहिए
तालाब की लंबाई उसकी चौड़ाई की 3 गुनी होनी चाहिए। अर्थात इसे अनुपात में देखा जाय तो इसकी लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 3:1 होना चाहिए।
तालाब की गहराई कितनी रखनी चाहिए?
तालाब का वातावरण तालाब की गहराई पर निर्भर करता है। इसलिए तालाब बनवाते समय इस बात का ध्यान रखे कि इसकी गहराई आपको इतनी रखनी होगी जिससे सूर्य की रोशनी आसानी से तली तक पहुंच सके। ज्यादा गहरा तालाब रखने पर ऑक्सीजन का अभाव होने लगता है और तालाब से विषैली गैस उत्पन्न होने लगती है।
यदि तालाब में आस-पास से पानी आने व्यवस्था है तो तालाब की गहराई 3 से 4 फीट रखें। यदि तालाब वर्षा के जल पर निर्भर है तो ऐसी स्थिति में तालाब की गहराई 10 से 11 फीट किया जा सकता है।
तालाब का बांध कैसा होना चाहिए
बांध की ऊंचाई भूमि से 1 मीटर होनी चाहिए। बांध की ऊंचाई तालाब के पानी से जितनी कम होगी पानी का हवा से संपर्क उतना ही अच्छा रहेगा और पानी में ऑक्सीजन की उपलब्धता अच्छी बनी रहेगी। बांध की ऊपरी समतल सतह की चौड़ाई कम से कम 2 मीटर की होनी चाहिए। और नीचे की चौड़ाई 4.5 मीटर होनी चाहिए। बांध का ढलान तालाब की ओर कम होना चाहिए जिससे मिट्टी कट कर तालाब से बाहर न जा सके। और आपको चढ़ने-उतरने में भी आसानी हो सके। बांध के बाहर की तरफ ढलान को ज्यादा रखा जा सकता है।
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तालाब में पानी आने की व्यवस्था
तालाब में पानी के आने के लिए प्रवेश पाइप (Inlet) की व्यवस्था होनी चाहिए। जिससे तालाब में पानी भरा जा सके। इस प्रवेश पाइप को तालाब के छिछले भाग में बनाना चाहिए। तथा इसमें छिद्रयुक्त ढक्कन भी जरूर लगाए जिससे पानी में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ सके।
प्रवेश पाइप के मुंह में जाली भी जरूर लगाए ताकि पानी के साथ कूड़ा-कचरा ना आ सके। पाइप की मोटाई का व्यास 15 से 30 cm. रखे। यदि तालाब वर्षा के जल पर निर्भर है और वर्षा का जल अपने साथ मिट्टी बहाकर लाता हो तो तालाब में पानी के प्रवेश द्वार के पास एक गड्ढा बना दे।
ताकि पानी उसमे कुछ देर रुक सके और बहकर आती हुई मिट्टी उस गड्ढे में बैठ सके। ऐसा करने से तालाब में अनावश्यक मिट्टी जमा नहीं हो पाएगी। गड्ढे में जमी हुई मिट्टी को समय-समय पर साफ भी जरूर करते जाए।
तालाब से पानी निकालने की व्यवस्था
आवश्यकता पड़ने पर तालाब से पानी को बाहर निकालने के लिए तली में एक निकास पाइप (Outlet) की व्यवस्था जरूर होनी चाहिए। इसमें जाली लगे होने के साथ-साथ इसे पूर्ण रूप से बंद करने की भी व्यवस्था होनी चाहिए। ताकि जरूरत के अनुसार पानी का प्रयोग किया जा सके। और अनावश्यक पानी के निकास को रोका जा सके।
पुराने तालाब का जीर्णोद्वार या मरम्मत
यदि आपके पास पहले से ही पुराना तालाब है तब उसमे मरम्मत करके उसे मछली पालन के योग्य बनाया जा सकता है। तालाब की साफ-सफाई अच्छी तरह से कराए उसमे कोई भी बड़ा पत्थर, कोई बड़ा पेड़ या पेड़-पौधो की जड़ इत्यादि नही होनी चाहिए। यदि तालाब ज्यादा गहरा ना हो तो आवश्यकतानुसार उसमे गहराई बनाए।
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तालाब बनाने की तैयारी
व्यवसायिक मछली पालन के लिए बड़ा तालाब बनवाना अच्छा होता है। यदि आप आधा एकड़ में तालाब बनवाना चाहते है तो आपके पास 76 डिसमिल जमीन होनी चाहिए जिसमे कि 26 डिसमिल जमीन बांध बनवाने में उपयोग हो जायेगा। तालाब को खुदवाते समय ऊपर की 8 से 10 इंच की मिट्टी को अलग रखवा दे। और इसके बाद जो मिट्टी निकलेगी उसे बांध बनाने में उपयोग करिए।
बांध को थोड़ा थोड़ा करके बनाए। एक दिन में 9 इंच ऊंचाई तक बांध के चारो तरफ से मिट्टी को डाले। फिर मिट्टी में पानी छिड़ककर पीट-पीट कर मिट्टी को बैठाए। इस तरह से पूरा बांध बना लेना है। बांध मजबूत बनेगी और तालाब के पानी के दबाव से टूटेगी भी नही।
जब तालाब पूरी तरह से बन जाए तब उसमे अलग से रखी हुई मिट्टी को समान रूप से फैला देना है। इसके बाद मिट्टी का PH चेक जरूर कर ले मिट्टी के अम्लीय होने की स्थिति में उसमे आवश्यकतानुसार चुना मिलाए। और एक बार हल चलवा दे जिससे चुना, मिट्टी में अच्छी तरह मिक्स हो जाए।
आधा एकड़ जमीन में 20 kg चुना का प्रयोग करना चाहिए। चुना की मात्रा, मिट्टी के PH और मिट्टी के उर्वरा शक्ति पर निर्भर करता है। यह काम आपका मई महीने तक में पूरा हो जाना चाहिए जिससे बरसात के मौसम में तालाब में पानी भर जाए। और आप मछली पालन कर पाए।
तालाब में खाद का प्रयोग क्यों करना चाहिए
तालाब की मिट्टी को उपजाऊ बनाने के लिए खाद का प्रयोग करना जरूरी होता है। खाद का प्रयोग करने से मछली के प्राकृतिक भोजन की उपज अच्छी होती है। मछली का प्राकृतिक भोजन प्लवक है। नदी, तालाब, समुद्र, झील के पानी में तैरते हुए अति सूक्ष्म जीवों को ही प्लवक कहा जाता है। खाद, मिट्टी की गुणवत्ता को सुधार करने में महत्वपूर्ण होता है। चूंकि नए तालाब में मिट्टी भुरभुरी होती है तो खाद के प्रयोग से मिट्टी की संरचना में सुधार आ जाता है।
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तालाब में प्रयोग किए जाने वाले विभिन्न खाद
तालाब में सामान्य तौर पर 2 तरह की खाद का प्रयोग किया जाता है।
1. कार्बनिक खाद
यह खाद जैविक पदार्थो के सड़ने-गलने से प्राप्त होता है जैसे- मवेशियों का खाद, सड़ेगले पत्तो के कंपोस्ट इत्यादि।
2. अकार्बनिक खाद
इसके अंतर्गत पोटाश, नाइट्रोजन, फास्फोरस युक्त खाद आते है।
खाद का प्रयोग कब करें
- मछली को तालाब में संचय करने के 15 दिन पहले खाद का प्रयोग करना चाहिए।
- हर महीने खाद डालना चाहिए।
- जब पानी का रंग मटमैला हो जाए तब खाद का प्रयोग करना चाहिए।
- यदि तालाब में मछली के लिए पर्याप्त प्राकृतिक भोजन उपलब्ध ना हो तो खाद का प्रयोग करना चाहिए। इसे आप तालाब के पानी का रंग देखकर भी पता लगा सकते है। यदि पानी का रंग हरा-भूरा है तो ठीक है।
खाद का प्रयोग कब ना करें
- जब पानी का रंग हरा हो जाए या फिर पानी की सतह पर काई का जमाव होने लग जाए तो खाद का प्रयोग करना बंद कर देना चाहिए।
- मछलियों में बीमारी के लक्षण दिखने पर खाद ना डाले।
- पानी से बदबू आने पर भी खाद का प्रयोग ना करे।
- पानी में ऑक्सीजन की कमी होने पर खाद का प्रयोग बंद कर दे।
- ठंड के मौसम में जब पानी का तापमान बहुत कम हो जाए तो खाद का प्रयोग ना करें।
खाद का प्रयोग कैसे करना चाहिए
मिट्टी में उपलब्ध जैविक कार्बन की उपस्थिति के आधार पर तालाब में खाद का प्रयोग किया जाता है। शुरुआती तैयारी में यानी कि मछली संचय से 15 दिन पहले कार्बनिक खाद, तालाब में डाले जाने वाली खाद की कुल मात्रा का 20% भाग होना चाहिए। तथा शेष बचे 80% खाद को 10 बराबर भागों में बांटकर हर महीने तालाब में खाद डालना है। इसके अलावा रसायनिक खाद को तालाब के चारो तरफ पानी में घोल करके छिड़काव करना चाहिए।
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बड़ी मात्रा में खाद डालने के बजाय छोटी-छोटी मात्रा में 15 दिनो के अंतराल में खाद डालना अच्छा होता है। कार्बनिक खाद डालने के 5 से 6 दिनो के बाद ही रसायनिक खाद डालना चाहिए। जैविक खाद के रूप में गाय, मुर्गी, बैल, भैंस इत्यादि किसी भी मवेशी का खाद तालाब में डाल सकते है। हालाकि कुछ खादो की उर्वरा शक्ति ज्यादा होती है ऐसे में उन खादो का कम मात्रा में प्रयोग करना चाहिए। खाद डालने का कार्य सूर्योदय के बाद करना अच्छा होता है।
भैस के गोबर का प्रयोग तालाब में करने से मनाही की जाती है क्योंकि इसके गोबर में एक तरह का रंग होता है जो पानी का रंग काला कर देता है। जिससे प्रकाश संश्लेषण में बाधा उत्पन्न होती है। फलस्वरूप पानी में ऑक्सीजन के उत्पादन में कमी आ जाती है। किसानों के अनुभव के अनुसार जिस समय तालाब को तैयार किया जाता है उस समय गोबर के साथ-साथ यदि पुआल का भी प्रयोग किया जाय तो तालाब में प्लवक का उत्पादन भी अच्छा होता है।
गोबर का प्रयोग
मछली के बीज का संचय करने से 15 दिन पहले शुरुआती समय पर तालाब में 1000 kg/एकड़ गोबर डालना चाहिए। उसके बाद हर महीने 400 kg/एकड़ गोबर डालते जाए। और गोबर को तालाब के किसी एक कोने में डाले जिससे यह धीरे-धीरे बहकर पानी में घुलता जायेगा।
तालाब में “डी. ए. पी.” का इस्तेमाल
मिट्टी की जांच कराने के बाद यदि उसमे फॉस्फेट की कमी नजर आती है तो मछली बीज संचय के पहले महीने में 8 किलो/एकड़ डी. ए. पी. डाले। उसके बाद हर महीने 12 किलो/एकड़ डालते जाए। रसायनिक खाद को हमेशा पानी के साथ घोलकर तालाब में छिटकर इसका प्रयोग करना चाहिए। जिससे यह पानी में अच्छी तरह से घुल सके। या फिर तालाब के पानी के अंदर लकड़ी का मचान बनाकर उसमे रसायनिक खाद को रख देने पर भी यह तालाब में धीरे-धीरे घुलता रहेगा।
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तालाब में चुना का प्रयोग क्यों करना चाहिए।
- चुना तालाब के पानी की क्षारीयता को बढ़ाता है। और मिट्टी में कैल्शियम की मात्रा को बढ़ाता है।
- चुना तालाब के पानी को साफ करने का भी कार्य करता है।
- गोबर को सड़ाने में भी मदद करता है।
- मछलियों को बीमारियों से बचाने का भी काम करता है।
- ऑक्सीजन गैस के अभाव में निकालने वाली जहरीली गैस को कंट्रोल करता है।
- साथ ही यह पानी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाता है और मछलियों के लिए प्राकृतिक भोजन के उत्पादन में भी मदद करता है।
चुना की मात्रा और प्रयोग विधि
मछली बीज का संचय करने से पहले तालाब में 40 किलो/एकड़ चुना डालना चाहिए। तथा संचय कर लेने के बाद हर महीने 10 किलो/एकड़ चुना डाले। यदि तालाब में कीचड़ की मात्रा ज्यादा हो तो ऐसी स्थिति में ज्यादा मात्रा में चुने का प्रयोग करना होता है। यदि तालाब का मिट्टी बलुई या फिर कम कीचड़ वाला हो तो कम चुने का प्रयोग करना चाहिए।
प्रयोग विधि : मछली बीज का संचय करने से पहले जब तालाब सुखा हो उस समय चुने को मिट्टी में मिलाकर इसका इस्तेमाल कर सकते है। और यदि तालाब में पानी है तो समान रूप से पूरे तालाब में चुना डलवा दे। तालाब में काफी कीचड़ जमा होने की स्थिति में कली चुना डालकर अच्छी तरह से मिला लेना चाहिए। आप चाहे तो तालाब में चुना डालकर गाय बैल को तालाब में छोड़ सकते है ताकि इनके पैरो के रौंदने से चुना पानी में अच्छी तरह से मिल जाए।
तालाब में मछली बीज का संचय
मछली बीज का संचय करने से पहले आपको यह तय करना होगा कि आप किस प्रकार के मछली का संचय करना चाहते है। अगर आप नही जानते है कि कौन सी मछली का पालन करना सही रहेगा। तो चलिए जान लेते है कि किस प्रकार की मछली का संचय करना चाहिए और क्यों करना चाहिए।
- जो मछली खाने में स्वादिष्ट हो।
- जिस मछली का बीज (जीरा) आसानी से मार्केट में उपलब्ध हो।
- जिसकी मांग मार्केट में ज्यादा हो।
- वह मछली जिसकी बढ़त तालाब में अच्छी हो।
- तालाब में पालने के लिए उपयुक्त मछली है रोहू, कतला, मृगल, कॉमन कार्प, ग्रास कार्प, सिल्वर कार्प इत्यादि। इसकी मांग मार्केट में ज्यादा होती है। और खाने में स्वादिष्ट भी लगता है।
- तालाब में पर्याप्त घास उपलब्ध होने पर ग्रास कार्प मछली को जरूर पाले।
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मछलियों के बीज की मात्रा
तालाब में मछलियों के बीज (जीरा) की कितनी मात्रा डालनी चाहिए यह उसकी लंबाई पर निर्भर करता है। यदि आप तालाब में 1 इंच का बीज डाल रहे है तो 1 हैक्टेयर के तालाब में 5000 बीज संचय किया जा सकता है। तथा मिश्रित मछली पालन में 10,000 बीज का संचय किया जा सकता है।
ज्यादा लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से यदि आप सोचते है कि तालाब में ज्यादा बीज डाल देने पर ज्यादा मछलियों का उत्पादन किया जा सकेगा। तो ऐसा बिल्कुल भी नही है। अगर आप ज्यादा बीज डालते है तो तालाब में उनको बढ़ने के लिए जगह की भी आवश्यकता होगी जो नही मिल पाएगी। ज्यादा संख्या में बीज होने पर प्राकृतिक भोजन की भी कमी होने लगेगी। चूंकि तालाब में मछलियों के स्थान और भोजन निश्चित है।
तालाब में विभिन्न मछलियों का अनुपात
तालाब में मछलियों के निश्चित स्थान और भोजन की उपलब्धता के कारण पाली जाने वाली मछलियों का अनुपात भी निश्चित होना चाहिए। आप तालाब में सभी प्रकार के मछली का पालन कर सकते है जिससे तालाब के सभी जगहों का समुचित उपयोग हो सके। कम से कम 3 तरह की मछलियों का पालन जरूर करना चाहिए।
ऐसा देखा गया है कि सिल्वर कार्प की संख्या तालाब में ज्यादा होने पर कतला मछली के बढ़त पर इसका प्रभाव पड़ता है। इसलिए तालाब में इसकी संख्या कतला से कम रखनी चाहिए। यदि आप सभी 6 प्रकार के मछलियों का पालन करना चाहते है तो उनका अनुपात इस प्रकार होना चाहिए।
- कतला : रोहू : मृगल – 40 : 30 : 30
- कतला : रोहू : मृगल : कॉमन कार्प – 30 : 30 : 15 : 25
- कतला : रोहू : मृगल : कॉमन कार्प : ग्रास कार्प – 30 : 15 : 25 : 20 : 10
- कतला : रोहू : मृगल : कॉमन कार्प : ग्रास कार्प : सिल्वर कार्प – 10 : 25 : 15 : 20 : 20 : 10
बीज संचयन में सावधानियां
- मार्केट से जब मछली का बीज लाए तो उसे ऑक्सीजन पैक वाली पॉलिथीन में लाए ताकि परिवहन में मछली लाते समय मृत्यु दर कम हो सके।
- सुबह के समय या फिर सूर्यास्त के समय बीज का संचयन करे जब पानी ठंडा हो।
- प्लास्टिक में भरे हुए बीज को सीधे ही खोलकर तालाब में ना डाले। प्लास्टिक को कुछ समय तक के लिए तालाब के पानी में रखे ताकि प्लास्टिक के पानी और तालाब के पानी का तापमान बराबर हो सके। उसके बाद बीज का संचयन करे
- मछली बीज को खुद से ही प्लास्टिक से तालाब में जाने दे।
- एक गमछे को पानी से भिगोकर फिसलाऊ पट्टी की तरह गमछे को रखकर ऊपर से बीज को तालाब में छोड़े। अगर मछली बीज को पोटेशियम परमैग्नेट के घोल में उपचारित किया जाए तो उसकी जीवितादर अच्छी होती है।
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मछलियों का प्राकृतिक आहार
मछलियों का प्राकृतिक आहार प्लवक होते है प्लवक ऐसे सूक्ष्म जीव होते है जिन्हे खुली आंखों से नही देखा जा सकता है। तालाब में पानी का रंग देखकर भी पता लगाया जा सकता है कि तालाब में पर्याप्त प्राकृतिक भोजन उपलब्ध है या नही। जब पानी का रंग भूरा हो तो समझ ले कि प्राकृतिक भोजन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है।
मछलियों के लिए पूरक आहार
मछलियों को प्राकृतिक आहार देने के साथ-साथ उनकी अच्छी बढ़त के लिए पूरक आहार भी देना चाहिए। यदि तालाब में प्राकृतिक भोजन पर्याप्त मात्रा में नही है तो खाद डाले। साथ ही पूरक आहार की मात्रा भी बढ़ा देना चाहिए।
पूरक आहार देने के लिए चावल का कोढ़ा और सरसो की खली को आधा-आधा मिलाकर तालाब में डाले। इसमें आप सरसो की खली के बदले में मूंगफली की खली का भी इस्तेमाल कर सकते है। भोजन में मिनरल मिक्सचर भी 1% की दर से दे। भोजन को सुबह शाम एक निश्चित जगह और समय पर देना सही रहता है।
गेहूं का चोकर, जौ की चूर्ण, मक्के का चूर्ण, सोयाबीन का चूर्ण, अन्य अनाज की खली इत्यादि पूरक आहार के रूप में इस्तेमाल कर सकते है। साथ ही मांस का चूरा, हड्डी का चूरा, घोंघा, और पानी के कीड़ों का चूर्ण इन सभी को भोजन के साथ मिलाकर दिया जा सकता है।
Fish Farming Business में उपयोग होने वाले देशी तकनीक
तालाब से मेढ़क या फिर मेढ़क के बच्चे को बाहर निकालने के लिए पके हुए कटहल का इस्तेमाल कर सकते है। इस कटहल को तालाब के चारो ओर घुमाओ जिससे मेढ़क के बच्चे इसके पीछे-पीछे चले आयेंगे और तालाब से बाहर निकल जायेंगे।
जब तालाब के पानी का PH ज्यादा हो जाए तो इसमें इमली के पत्तो को बांधकर तालाब में डाले। जिससे तालाब के पानी का PH कम होने लग जायेगा। जब पानी का PH अनुकूल स्थिति में आ जाए तो तालाब से इमली के पत्तो को निकाल दे।
जब मुर्गियों के खाद का प्रयोग तालाब में ज्यादा हो जाता है तब मछलियों के मरने की संभावना बढ़ जाती है। इसके लिए आप खाद को तालाब के किनारे एक कोने में रख दे जिससे यह धीरे-धीरे पानी में घुलता जायेगा तथा पानी में प्राकृतिक भोजन की पैदावार बढ़ती जायेगी। मछलियों के मरने का खतरा भी नही रहेगा।
कम गहरे वाले तालाब में रोहू की बढ़त कम होती है। इसके लिए खाली बोरे को रस्सी में बांधकर तालाब में लटका दे। रोहू मछली की बढ़त अच्छी होने लगेगी।
देशी शराब बनाने के काम में जो अनुपयोगी सामग्री बचती है उसे मांगुर मछली के भोजन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
तालाब के पानी से दुर्गंध आने पर उसे दूर करने के लिए तालाब में जल कुंभी डालना चाहिए। यह तालाब के विषैले तत्वों को भी सोखता है।
तालाब से केकड़ा को बाहर निकालने के लिए पतला मुंह वाला मिट्टी का बर्तन तालाब में इधर उधर रख दे। कुछ दिनों के बाद इसके अंदर से केकड़े निकाल सकते है।
Conclusion
इस आर्टिकल में हमने मछली पालन बिजनेस के बारे में डिटेल से जाना है। आशा करता हूं दोस्तो आपको यह आर्टिकल Fish Farming Business In Hindi पसंद आया होगा। और आपको अपना स्वयं का Fish Farming Business शुरू करने में काफी मदद मिली होगी। अगर आपका इस आर्टिकल से संबंधित कोई सवाल है या हमें सुझाव देना चाहते है। तो नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट करके हमें बता सकते है।
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FAQ – Fish Farming Business In Hindi
1. मछली पालन में कितना खर्च आता है?
1 हैक्टेयर का तालाब बनवाने और उसमे मछली पालन करने के लिए लगभग 5 लाख का खर्चा आता है। जिसमे केंद्र सरकार कुल राशि का 50% और राज्य सरकार 25% अनुदान देती है। शेष बचे हुए 25% मछली पालक देता है।
2. मछली कितने दिन में 1 किलो की हो जाती है?
जब आप 2.5 से 3 इंच का मछली बीज अपने तालाब में संचय करते है। तो लगभग 7 से 8 महीने में मछली 1 किलो की हो जायेगी।
3. मछली पालन की शुरुआत कैसे करें?
मछली पालन कैसे करे।
1. सबसे पहले मछली पालन के लिए तालाब का निर्माण करवाएं।
2. मिट्टी के PH की जांच करवाकर आवश्यकता के अनुसार तालाब में चुना का प्रयोग करें।
3. बाहरी स्त्रोत से तालाब में पानी भरे।
4. मवेशियों के खाद और रसायनिक खाद तालाब में डाले जिससे तालाब में मछलियों के लिए प्राकृतिक भोजन का उत्पादन हो सके।
5. विभिन्न मछलियों का संचयन करे। जैसे- रोहू, कतला, मृगल, कॉमन कार्प, सिल्वर कार्प, ग्रास कार्प, इत्यादि।
6. ज्यादा मछली के उत्पादन के लिए प्राकृतिक भोजन के अलावा कृत्रिम भोजन भी दे।
7. मछलियों की देखरेख समयानुसार करते रहे।
4. मछली का बीज कितने रुपए किलो मिलता है?
मार्केट में मछली का बीज लगभग 250 से 300 रुपए किलो मिल जाता है। मछली बीज की कीमत आपके एरिया पर भी निर्भर करेगा।
5. कम से कम जगह में मछली पालन कैसे करें?
कम जगह में मछली पालन करने के लिए biofloc बहुत ही अच्छा तरीका है। इस विधि द्वारा आप बहुत ही आसानी से कम जगह में मछली पालन कर सकते है। Biofloc में बहुत ही कम पानी का यूज करके ज्यादा मछली का उत्पादन किया जा सकता है। इसमें मछली मार्केट में बेचने के लिए जल्दी बढ़कर तैयार हो जाती है।